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Na Ho Sath koi: न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम 

No one is with you, you grow alone

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।

सदा जो बिना ही जगाये जगा है,

अँधेरा उसे देख कर ही भगा है।

वही बीज पनपा, पनपना जिसे था,

धुना क्या किसी के उगाये उगा है।

अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम,

प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी।

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।।

सही राह छोड़कर जो मुड़े हैं,

वही देखकर दुसरों को कुढ़े हैं।

बिना पंख तोले उड़े जो गगन में,

न संबंध उनके गगन से जुड़े हैं।

अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम,

प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।।

न जो बर्फ की आँधियों से लड़े हैं,

कभी पग न उनके शिखर पर पड़े हैं।

जिन्हे लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से,

वही जी चुराकर विमुख हो खड़े हैं।

अगर जी सको तो जिओ झूम कर तुम,

अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी।

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,

सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी।।

𝓣𝓱𝓪𝓷𝓴𝓼 𝓯𝓸𝓻 𝓻𝓮𝓪𝓭𝓲𝓷𝓰

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डिस्क्लेमर-

यह संघ गीत है, जिसे सावधानीपूर्वक लिखा गया है, फिर भी यदि कोई त्रुटि होती है तो हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com उत्तरदायी नहीं होगी। कृपया मूल स्रोत या किसी विश्वसनीय स्रोत से मिलान कर लें।

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