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Ma Ganga माँ गंगा पहुँची हनुमान मन्दिर

भारत मे हनुमान जी का एक ऐसा मन्दिर भी है, जहाँ माँ गंगा लगभग प्रत्येक वर्ष मन्दिर में जाती हैं। और हनुमान जी को स्नान कराकर वापस आ जाती हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि जब गंगा माँ मन्दिर न पहुँची हो। यदि ऐसा कभी होता भी है, फिर भी वह बड़े हनुमान जी के मन्दिर के पास तक तो पहुँच ही जाती है। हम बात कर रहे हैं, भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज में “बड़े हनुमान जी” के मन्दिर की। बड़े हनुमान जी को “लेटे हुए हनुमान जी” भी कहा जाता है।

यहीं प्रयागराज में गंगा-यमुना का संगम होता है। यमुना नदी के किनारे ही अकबर का किला है। और यहीं पर है बड़े हनुमान जी का मन्दिर।

गंगा नदी

अब आते हैं आते हैं अपने मुख्य टाॅपिक पर। गंगा नदी मन्दिर जाती है, और लगभग प्रत्येक वर्ष पहुँचती है। यह मात्र बाढ़ का प्रभाव नहीं बल्कि यह दिव्य शक्ति का आभास कराता है। इस दृश्य को देखने के लिए कुछ लोग तो बहुत पहले ही पहुँच जाते हैं वहाँ, और इसलिए नहीं कि वह सामान्य रूप से गए हों, बल्कि इसलिए कि गंगा नदी कैसे हनुमान जी को स्नान कराने के लिए मन्दिर में प्रवेश करती है ? यह देखने के लिए आ जाते हैं। चलिए बताते हैं विस्तार से।

भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज में गंगा – यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है। यहीं पर “बड़े हनुमान जी” का मन्दिर है। मन्दिर में हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है। इसीलिए इसे “लेटे हुए हनुमान जी” मन्दिर के नाम से जाना जाता है। मन्दिर का महत्व इतना है कि प्रयागराज में लोगों के घरों में कोई भी छोटे-बड़े शुभ कार्य हों तो लोग सबसे पहले “बड़े हनुमान” जी के दरबार में जरूर जाते हैं। बड़े हनुमान जी का मन्दिर स्वयं में ही इतनी प्रसिद्धि पा चुका है कि कम से कम प्रयागराज कमिश्नरी में तो नाम ही काफी है, मन्दिर की लोकेशन बताने की आवश्यकता ही नहीं है। लोग “बड़े हनुमान जी” के नाम से ही समझ जाते हैं। गंगा-यमुना नदी प्रवाह से अपेक्षाकृत ऊँचाई पर मन्दिर बना है। यद्यपि मन्दिर का गर्भगृह गहराई में है।

वर्षा ऋतु में जब गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो नदी धीरे-धीरे मन्दिर की ओर बढ़ने लगती है। और माँ गंगा मन्दिर में प्रवेश करती हैं, और हनुमान जी को स्नान कराकर कुछ दिनों में वापस अपनी मुख्य धारा में आ जाती हैं। यह दृश्य इतना अद्भुत होता है, कि कुछ लोग जो दूरस्थ रहते हैं, इसे देखने के लिए प्रयागराज आ जाते हैं। और होटल में कमरे लेकर रुकते हैं, और प्रतीक्षा करते हैं उस “पल” की जब माता गंगा का मिलन हनुमान जी से होता है।

माँ गंगा का हनुमान जी से मिलन इतना अद्भुत है कि लोकल मीडिया भी इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए आतुर रहता है, और प्रतीक्षा करता है कि कब गंगा माता मन्दिर में प्रवेश करें और कब वह उस नजारे को अपने कैमरे में कैद करें।

जब गंगा माता मन्दिर में प्रवेश कर रही होती हैं, उसी समय मन्दिर में बड़े हनुमान जी की आरती की जाती है, और फिर मन्दिर को बंद कर दिया जाता है। गंगा नदी के वापस होने के बाद मन्दिर को पुन: दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाता है।

बहुत कम ही ऐसा होता है कि जब गंगा नदी मन्दिर मे न गयी हो। यदि कभी ऐसा हुआ भी फिर भी नदी मन्दिर के पास तक तो आ ही जाती है। यदि आप भी यह दृश्य देखना चाहते हैं तो प्रयागराज जा सकते हैं। गंगा नदी मन्दिर में कब प्रवेश करेगी ? ऐसा कोई समय तो फिक्स नहीं है। परन्तु अगस्त या सितम्बर महीने में नदी मन्दिर में प्रवेश करती है, और हनुमान जी को स्नान कराती है।

बड़े हनुमान जी के बारे में जानने के लिंक पर bade-hanuman-बड़े-हनुमान-जी-मन्दिर क्लिक करें।

प्रयागराज कब जायें

यहाँ जाने के लिए कभी भी आप जा सकते हैं, लेकिन यदि आप यह दृश्य देखना चाहते हैं तो अगस्त- सितम्बर माह में जायँ। माँ गंगा मन्दिर में कब प्रवेश करती है? यह निर्धारित नहीं है। सामान्यतः अगस्त- सितम्बर माह होता है।

कैसे जायें

प्रयागराज रेल, सड़क व वायु मार्ग से देश के हर कोने से जुड़ा है। यहाँ का निकटम रेलवे-स्टेशन प्रयागराज है। प्रयागराज में ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा संचालित बस-स्टेशन है, जो विभिन्न स्थानों से जुड़ा है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा “बमरौली एयरपोर्ट” प्रयागराज है।

कहाँ ठहरें

प्रयागराज, भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक महानगर है और जिला भी। यहाँ पर रुकने के लिए कई होटल हैं। आप अपने बजट के अनुसार कहीं भी रुक सकते हैं।

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डिस्कलीमर

यहाँ पर दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करती। अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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