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kumbh mela and place  कुम्भ मेला और स्थान

भारत मे होने वाला “कुम्भ मेला” भारत में चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है। चारों ही स्थान अपने आप मे धार्मिक दृस्टि से पवित्र और अतुल्य है। यह चारों स्थान उत्तराखण्ड से लेकर महाराष्ट्र तक फैले हुए हैं। महाकुम्भ मे दूर – दूर से लोग आते हैं, और महापर्व “महाकुम्भ” में आस्था की डुबकी लगाकर स्नान करते हैं, और स्वयं को आध्यात्मिक शक्ति से जोड़ने की कोशिश करते हैं। अपने मन को शांत कर एक अलग अनुभूति प्राप्त करते हैं। आइये पहले जानते हैं वो चार स्थान, जहाँ महाकुम्भ जैसा “महापर्व” मनाया जाता है।

भारत मे महाकुम्भ मनाने वाले चारों स्थानों मे हम सबसे पहले उत्तर से प्रारम्भ करते हैं और दक्षिण तक सभी चारो स्थानों तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।

एक बात और – इन बारह [12] वर्षो के मध्य में एक अर्धकुम्भ भी होता है, अर्थात प्रत्येक कुम्भ के छ: वर्ष के बाद एक “अर्धकुम्भ” भी होता है। परंतु यह अर्धकुम्भ “हरिद्वार” और “प्रयागराज” में मनाया जाता है, अन्य दो स्थान – उज्जैन और नासिक में केवल कुम्भ मनाया जाता है, अर्धकुम्भ नहीं।

इस प्रकार भारत में चार स्थानों पर कुम्भ मनाया जाता है, यह चार स्थान चार प्रदेशों में स्थित है, प्रत्येक प्रदेश में एक स्थान आता है। जो उत्तराखण्ड , उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में आते हैं।

1 – हरिद्वार – उत्तराखण्ड।

2 – प्रयागराज [पहले इलाहबाद] – उत्तर प्रदेश।

3 – उज्जैन – मध्य प्रदेश।

4 – नासिक – महाराष्ट्र।

विभाजन से पहले उत्तर प्रदेश में दो स्थानों पर कुम्भ मनाया जाता था। 1- प्रयागराज और 2 – हरिद्वार।

09 नवम्बर 2000 ई. को उत्तर प्रदेश का विभाजन हो गया, और भारत के मानचित्र पर एक नया राज्य “उत्तरांचल” बना। यही उत्तरांचल वर्तमान में “उत्तराखण्ड” के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार हरिद्वार उत्तराखण्ड में शामिल हो गया। और अब उत्तरप्रदेश में एक स्थान “प्रयागराज” में “कुम्भ” मनाया जाता है।

1 – हरिद्वार कुम्भ मेला उत्तराखण्ड

हरिद्वार उत्तराखण्ड में स्थित एक जिला है, यह एक जिला ही नहीं उत्तराखण्ड का एक महानगर है। यह नगर “बिल्व पर्वत” व “नील पर्वत” के मध्य स्थित है।

634 ईस्वी में व्हेनसांग जब हरिद्वार आये थे, तो उन्होंने हरिद्वार को ”मो-यू-लो” कहा था। अकबर अपने रसोई घर में फ़ूड बनाने के लिए “गंगा जल” का प्रयोग ही करता था, और यह जल वह बड़े – बड़े घड़ों में हरिद्वार से ही मंगाता था। इस बात का उल्लेख इतिहासकार “अबुलफजल” ने अपनी पुस्तक “आईने अकबरी” में किया है।

गंगा नदी पहाड़ो से सबसे पहले जहाँ उतरती है, वह स्थान ”कनखल” उत्तराखण्ड में हरिद्वार जिला मे ही है।

यहीं पर गंगा नदी के किनारे कुम्भ मेला लगता है, जहाँ पर भारी संख्या में श्रद्धालु आकर गंगा नदी में स्नान कर स्वयं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, और हरिद्वार में पहाड़ों के बीच स्वयं को प्रकृति से जुड़ने की सुखद अनुभूति करते हैं।

पिछली बार हरिद्वार में कुम्भ 2022 में होना था, किंतु यह आयोजन 2021 में हुआ था, जो कि 11 वर्ष बाद हुआ था, जबकि कुम्भ का आयोजन 12 वें वर्ष होता है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2021 में कुम्भ राशि में बृहस्पति का प्रवेश हो रहा था, जबकि 2022 में यह योग नहीं मिल रहा था।

कुम्भ का आयोजन तभी होता है, जब कुम्भ राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य हो, ऐसी मान्यता है।

अब अगला कुम्भ 2033 में होगा, जबकि अर्धकुम्भ 2028 में होगा। इससे पहले हरिद्वार में अर्धकुम्भ 2016 में हुआ था।

2 – प्रयागराज कुम्भ मेला (पहले इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश

यहाँ पर “गंगा- यमुना – सरस्वती” नदी का संगम होता है। यद्यपि सरस्वती नदी अदृश्य है, सिर्फ गंगा यमुना नदी का संगम दृश्य होता है, फिर भी माना जाता है, कि पौराणिक नदी “सरस्वती” अदृश्य होकर प्रवाहित होती है, और वह प्रयागराज में अपने अदृश्य रूप में ही गंगा नदी में मिल जाती है। परिणामतः यहाँ पर तीन नदी – गंगा – यमुना – सरस्वती (अदृश्य) नदी का संगम होता है, और “त्रिवेणी” कहा जाता है।

यहाँ पर 2013 में कुम्भ हुआ था। इसके बाद 2019 में अर्धकुम्भ हुआ था। वर्तमान में 2025 में महाकुम्भ चल रहा है। प्रयागराज में महाकुम्भ 13 जनवरी से प्रारम्भ हुआ, और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन शाही स्नान हुआ, और महाशिवरात्रि को शाही स्नान के साथ इसका समापन होगा। आइये जानते हैं-

शाही स्नान की तिथियां –

13 जनवरी 2025 – सोमवार – पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025 – मंगलवार – मकर संक्राति
29 जनवरी 2025 – बुधवार – मौनी अमावस्या
03 फरवरी 2025 – सोमवार – बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 – बुधवार – माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 – बुधवार – महाशिवरात्रि

अब प्रयागराज में अगला कुम्भ 2037 में होगा, जबकि अर्धकुम्भ 2031 में होगा।

उज्जैन, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी कुम्भ होता है। उज्जैन मध्य प्रदेश का जिला है। उज्जैन में ही महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। यह शिव जी की राजधानी भी है। कहा जाता है, कि यहाँ पर कोई भी मंत्री या शीर्ष राजनेता रात में नहीं रुकता, क्योंकि मान्यता है कि यहॉ पर यदि कोई शीर्ष नेता या मंत्री रुकता है, तो उसकी सत्ता समाप्त हो जाती है, क्योंकि कहा जाता है कि यहाँ के राजा शिव जी हैं, और वो रात्रि में अपने राज्य में भ्रमण करते हैं, ऐसे में यदि कोई मंत्री रुकता है, तो वह भी सामान्य नागरिक होता है – शिव जी के समक्ष। ऐसे में वह अपनी सत्ता खो सकता है।

यहीं पर प्रत्येक बारह वर्ष में “सिंहस्थ कुम्भ” का आयोजन होता है। जहाँ पर लोग पवित्र “क्षिप्रा” नदी में स्नान करते हैं, और अपने मन को शांति प्रदान करते हैं।

उज्जैन में कुम्भ 2016 में हुआ था, अब अगला कुम्भ 2028 में होगा। उज्जैन में अर्धकुम्भ नहीं होता।

नासिक, महाराष्ट्र

मान्यता है कि अमृत की बूंदें यहाँ भी गिरी थीं, इसीलिये यहाँ भी प्रत्येक बारहवें वर्ष कुम्भ का आयोजन होता है। महाराष्ट्र में नासिक में “गोदावरी” नदी के किनारे इस भव्य कुम्भ का आयोजन होता है, श्रद्धालु यहाँ पर आकर गोदावरी नदी में डुबकी लगाकर आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं। दक्षिण भारत में गोदावरी नदी का वही स्थान है जो उत्तर भारत में गंगा नदी को प्राप्त है, अर्थात दक्षिण भारत में गोदावरी नदी को पवित्र नदी माना जाता है।

इस प्रकार भारत में चार स्थानों पर कुम्भ मनाया जाता है, जो प्रत्येक स्थान पर बारहवें [12 वर्ष] वर्ष मनाया जाता है।

नासिक में कुम्भ 2015 में हुआ था, अब अगला कुम्भ 2027 में होगा। उज्जैन की तरह यहाँ भी अर्धकुम्भ नहीं होता।

प्रयागराज महाकुम्भ कैसे जायें

वर्तमान में भारत में उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में महाकुम्भ महापर्व [मेला] चल रहा है। यदि आप प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में जाना चाहते हैं, तो यह समय प्रयागराज में जाने का है।

प्रयागराज वायु मार्ग, रेल मार्ग, व सड़क मार्ग से भारत के सभी राज्यों से जुड़ा है। यदि ट्रेन से प्रयागराज जाना चाहते हैं, तो निकटतम रेलवे स्टेशन प्रयागराज ही है, यहाँ से आप नगर निगम द्वारा संचालित बसों व ऑटो / टैक्सी से प्रयागराज महाकुम्भ जा सकते हैं, जो कुछ ही दुरी पर आयोजित होने वाले ”महाकुम्भ” मेला स्थल पर आपको पहुँचा देंगे। यद्यपि सरकार द्वारा महाकुम्भ शटल बस सेवा संचालित की जा रही है, जो बिल्कुल निःशुल्क है, आप चाहें तो इस बस सेवा का लाभ ले सकते हैं, यह बस भी आपको स्टेशन के सामने ही मिल जाएगी, जो आपको मेला स्थल तक पहुँचा देगी।

यदि आप एरोप्लेन से जाना चाहते हैं, तो निकटतम हवाई अड्डा “बमरौली एयरपोर्ट” प्रयागराज है, जहाँ से आप मेला स्थल तक आसानी से बस / ऑटो / टैक्सी से जा सकते हैं।

कहाँ रुके

वर्तमान में महाकुम्भ मेला चल रहा है, अतः यहाँ पर रुकने के लिए सरकार ने मेला स्थल पर ही अस्थाई आवास बनाये हैं, आप चाहें तो यहीं पर रुक सकते हैं, जो ऑनलाइन / ऑफलाइन बुक किये जा सके हैं। इनमें आपको लक्ज़री सुविधाएँ मिलेंगी। इनका शुल्क लगभग ₹ 1 लाख है।

यदि आप कम रेट में लेना चाहते हैं तो प्रयागराज में आपको कई होटल मिल जायेंगे, जो 1000 से 3000/- तक का चार्ज लेते हैं। और आपको अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं।

सावधानी

जब आप महाकुम्भ मेले में जाते हैं, तो आपको कुछ सावधानी भी रखनी चाहिए –

1 – प्रथमतः अपनी सामान की सुरक्षा स्वयं करें।

2 – अपने खड़े होने के स्थान / बैठने के स्थान व अपने आस पास एक बार नजर घुमाकर अवश्य देख लें, कहीं कुछ भी आपको संदिग्ध लगे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।

3 – अपने साथ एक पहचान पत्र अपना अवश्य रखें। साथ में यदि कोई बच्चा हो, या वृद्ध हो तो उसकी पॉकेट में एक कागज रखें जिसमें आपका नाम व पता लिखा होना चाहिए, साथ ही उसमे कम से कम अपना एक मोबाइल नंबर, अवश्य लिखें। संभव हो तो दो मोबाइल नंबर, लिखें। ईमेल एड्रेस भी लिख सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी अपरिहार्य स्थिति में बिछुड़ने पर यह एड्रेस काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। ऐसी कोई भी प्रॉब्लम के समाधान के लिए ”भूले – भटके” शिविर से संपर्क करें।

3 – जेब कतरों व अराजक तत्वों से सावधान रहें।

4 – अपने साथ में केवल आवश्यक सामान लेकर ही चलें। अनावश्यक सामान लेकर ना चलें। क्योंकि इससे आपको यात्रा करने में आसानी रहेगी।

5 – किसी भी स्थिति में बच्चों का हाँथ ना छोड़ें।

6 – किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।

7 – अपने साथ फर्स्ट – ऐड मेडिसिन अवश्य रखें।

8 – सर्दी से बचने के लिए विंटर शूट अवश्य रखें।

9 – किसी भी प्रकार की समस्या होने पर पुलिस / सुरक्षा बल से संपर्क करें।

10 – अधिक भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

11 – किसी अपरिचित व्यक्ति से अपनी निजी जानकारी शेयर न करें।

Thanks.
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डिस्क्रिलेमर

यहाँ पर दी गयी जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है, जो कई समाचार पत्रों / पत्रिकाओं व अन्य श्रोतों से ली गयीं है। यथा संभव सही जानकारी देने की कोशिश की गयी है, फिर भी किसी भी त्रुटि के लिए हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com उत्तरदायी नहीं होगी। अमल करने से पहले किसी विश्वसनीय श्रोत से मिलान कर लें।

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