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Bade Hanuman बड़े हनुमान जी मन्दिर प्रयागराज

आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ हनुमान जी की शक्ति 24 घंटे विराजमान रहती है। जी हाँ, वो मंदिर है प्रयागराज में “बड़े हनुमान जी मन्दिर प्रयागराज”। वैसे तो भारत में हनुमान जी के और भी मंदिर हैं जहाँ उनकी शक्ति हमेशा विराजमान रहती है, उन्हीं में से एक है, बड़े हनुमान जी का मंदिर, जो भारत में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है। यह मन्दिर “लेटे हुए हनुमान जी” का मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यही एक मात्र ऐसा मन्दिर है जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा “लेटी हुई अवस्था में है।सबसे पहले हम बात करते हैं प्रयागराज के बारे में।

प्रयागराज

पूर्व में प्रयागराज का नाम इलाहाबाद था, जिसे अब प्रयागराज कर दिया गया। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित यह एक प्रमुख नगर है। इस नगर का ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर भारतीय इतिहास में अद्वितीय है। प्रयागराज गंगा और यमुना नदी के संगम स्थल के रूप में जाना जाता है, माना जाता है कि यहीं पर अदृश्य सरस्वती नदी का संगम होता है, यह स्थल पर हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जहाँ कई यात्रा करने वाले श्रद्धालु आते हैं। प्रयागराज का नाम संस्कृत में “प्रयाग” से आया है, जिसका अर्थ होता है “पून्य”। इसे ‘इलाहाबाद’ के नाम से भी जाना जाता है, जो अब प्रयागराज हो चुका है। प्रयागराज का इतिहास वेदों, पुराणों, रामायण, और महाभारत के साथ जुड़ा हुआ है।यहां कई प्राचीन मंदिर, आश्रम, और सांस्कृतिक स्थल हैं जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक नगर बनाते हैं। यहीं पर भारद्वाज ऋषि का आश्रम था। प्रयागराज में महाकुम्भ मेला, जो हर 12 वर्षों में होता है, विश्वभर से आए श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभव को प्रदान करता है। नगर में कुंभ मेला के दौरान हजारों शिविरें स्थापित होती हैं, जहां से विभिन्न संत, महंत, और श्रद्धालु अपने धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, और आत्मिक रूप से नई उर्जा के संचार का अनुभव करते हैं।इसके अलावा, प्रयागराज पौराणिक ग्रन्थों, उपनिषदों में वर्णन किया गया है । यहां पर आनंद भवन स्थित है। जहाँ स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश के नेता विशेषकर महात्मा गाँधी और पंडित जवाहर लाल नेहरु स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते थे, जब उनका प्रयागराज आना होता था। तब वह बड़े आनंद भवन में आते थे। यहीं अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद ने अपने कान पर उस समय गोली मार ली थी, जब वह अंग्रेजों से घिरे थे, और उनके पास मात्र गोली बची थी। वर्तमान में अल्फ्रेड पार्क “कंपनी बाग” के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज की सांस्कृतिक विरासत भी यहां के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

बड़े हनुमान जी या लेटे हुए हनुमान जी का मन्दिर

प्रयागराज, भारत में सबसे पवित्र और महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक है जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाता है। इस शहर में स्थित “बड़े हनुमान जी मंदिर” जो “लेटे हुए हनुमान जी” का मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास, शैली, और उसका महत्त्व इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है।

मंदिर का इतिहास सैंकड़ो वर्ष पुराना है।इसके विषय में कई कहानियां प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार कन्नौज के एक राजा के संतान नहीं थी तो एक संत के कहने पर उन्होनें यहां पर हनुमान जी का मंदिर बनाने के लिए एक विशाल हनुमान जी की प्रतिमा बनवायी । यह प्रतिमा विंध्याचल से गंगा के रास्ते नाव के द्वारा लायी जा रही थी। प्रयागराज संगम पर पहुंचते ही नाव अचानक क्षतिग्रस्त हुई और प्रतिमा धारा में ही डूब गयी। जब जलस्तर कम हुआ तब एक संत को यह प्रतिमा दिखाई दी। सूचना पर राजा ने यहाँ पर मंदिर का निर्माण किया ।कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के समय में हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा था,प्रतिमाओं को नष्ट किया जा रहा था। मुगल सैनिकों ने इस प्रतिमा को भी नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन सफल न होने पर उन्होने प्रतिमा को हटाना चाहा लेकिन वो जितनी खुदाई करते प्रतिमा उतना ही भूमि की गहराई में जाती गई। अंत में हारकर उन्होंने प्रतिमा वहीं पर छोड़ दिया। आज भी प्रतिमा धरातल से कई फीट नीचे है। प्रतिमा के बायें पैर के नीचे कामदा देवी व दायें पैर के नीचे अहिरवारण दबा है। प्रतिमा के दायें कंधा पर राम लक्ष्मण व बायें हांथ में गदा शोभित है।मंदिर विशेष रूप से हनुमान भक्तों के बीच एक शक्तिशाली स्थल के रूप में माना जाता है।

धार्मिक मान्यता

बड़े हनुमान जी मन्दिर प्रयागराज, भगवान हनुमान को समर्पित है। इसकी शिल्पकला और वास्तुकला ने दर्शकों को अद्वितीय सुंदरता का आनंद दिया है। हनुमान जी के मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का एक केंद्र है जो भक्तों को शांति और दिव्यता का अनुभव करने का अवसर देता है। यहाँ प्रतिवर्ष हनुमान जयंती को कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त भगवान हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं।

लेटे हुए हनुमान जी

ऐसा माना जाता है कि लंका विजय से जब राम-सीता लक्ष्मण वापस आ रहे थे तब संध्या समय होने पर हनुमान जी ने भी यहीं पर विश्राम किया था। इसी कारण यहाँ पर प्रतिमा विश्रामावस्था में है। मान्यता यह भी है कि माता सीता ने सिंदूर भी यहीं पर हनुमान जी को दिया था।आज भी यहाँ पर प्रत्येक वर्ष वर्षा काल में गंगा की धारा मंदिर के अंदर प्रवेश करती है। वह क्षण बहुत ही अद्भुत होता है, जिसे देखने के लिए भक्तों की भीड़ काफी लगती है। हनुमान जी को स्नान कराने के बाद फिर गंगा माँ वापस अपने मूल स्थान पर आ जाती हैं। मन्दिर में माँ गंगा का प्रवेश करना इसलिए भी स्वयं में अद्भुत है क्योंकि गंगा नदी की मुख्य धारा से मन्दिर काफी ऊँचाई पर स्थित है। फिर भी नदी की धारा यहाँ मन्दिर में प्रवेश करती है। इसलिए यह दृश्य स्वयं में अद्भुत हो जाता है।माना जाता है कि हनुमान जी की शक्ति यहाँ हमेशा रहती है। इसी कारण सच्चे मन से माँगी गयी हर कामना हनुमान जी पूरी अवश्य करते हैं। कहा जाता है कि यहाँ से कभी कोई खाली हाँथ नहीं लौटता।

मन्दिर की एक विशेषता और है कि गंगा नदी बड़े हनुमान जी को स्नान कराने लगभग प्रत्येक वर्ष मन्दिर में आती है, अधिक जानने के लिए लिंक पर जाए- ma-ganga-माँ-गंगा-पहुँची-हनुमान जी के मन्दिर ।

राम जानकी मन्दिर

इसी मंदिर के पास में ही राम जानकी मंदिर है।

हनुमान जी के दरबार में जाने के बाद लोग इसी “राम जानकी मंदिर” भी जाते हैं। इस मन्दिर में श्रीराम जी, माता जानकी के साथ विराजमान हैं, और सदा साथ में रहने वाले लक्ष्मण जी भी साथ में विराजमान हैं। साथ में हनुमान जी विराजमान हैं। मन्दिर में बनायी सजावट दर्शनार्थीयों का ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती है। मंदिर के सामने ही गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम है। यद्यपि सरस्वती नदी अदृश्य है, और धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा-यमुना संगम में अदृश्य सरस्वती नदी का संगम भी अदृश्य ही है।

कब जाएँ

यहाँ जाने के लिए कभी भी आप जा सकते हैं, हनुमान जी का दरबार हमेशा खुला रहता है। रात में आरती होने के बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है। और सुबह आरती होने के बाद भक्तों के लिए पुनः खोल दिया जाता है। प्रत्येक वर्ष एक महीना माघ मेला चलता है ।उस समय यहाँ पर काफी भीड़ रहती है। ज्येष्ठ महीने में भी यहाँ काफी संख्या में लोग आते है।

कैसे जाएँ

प्रयागराज रेल, सड़क व वायु मार्ग से देश के हर कोने से जुड़ा है। यहाँ का निकटम रेलवे-स्टेशन प्रयागराज है। प्रयागराज में ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा संचालित बस-स्टेशन है, जो विभिन्न स्थानों से जुड़ा है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा “बमरौली एयरपोर्ट” प्रयागराज है।

कहाँ ठहरें

प्रयागराज, भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक महानगर है। यहाँ पर रुकने के कई होटल हैं। आप अपने बजट के अनुसार कहीं भी रुक सकते हैं।

डिस्क्लेमर

यहाँ पर दी गई जानकारी हिंदू धर्म की मान्यताओं पर आधारित है। हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करती। अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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