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Kumbh ardh kumbh कुम्भ अर्ध कुम्भ महाकुम्भ

Kumbh ardh kumbh aur mahakumbh mein antar कुम्भ अर्ध कुम्भ और महाकुम्भ में अंतर

वर्तमान में प्रयागराज में महाकुम्भ चल रहा है। यह 13 जनवरी 2025 से प्रारम्भ हुआ, और 26 फ़रवरी 2025 को समाप्त होगा। इस पोस्ट में पढ़ेंगे कुम्भ , महाकुम्भ और अर्द्ध कुम्भ के बारे में-

कुम्भ मेला को पौराणिक काल से जोड़ा जाता है। इसकी कथा समुद्र मंथन से जोड़ी जाती है। माना जाता है, कि जब दैत्यों ने देवताओं के राज्य पर अधिकार कर लिया, तब सारे देवताओं में हाहाकार मच गया। जब कोई उपाय देवताओं के पास ना रहा, तो वों भगवान विष्णु के पास गए, और उन्हें अपनी सारी समस्या को बताया, तब भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र मंथन की सलाह दी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र मंथन देवतागण असुरों के साथ मिलकर करें। देवताओं ने यही किया, उन्होंने समुद्र का मंथन दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया, जिसमे सुमेरू पर्वत को मथानी के रूप में प्रयोग किया, और नागराज को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया।

इस समुद्र मंथन में चौदह रत्न निकले, इन चौदह रत्नो में अंत में अमृत निकला।

इसी अमृत को पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध हुआ। यह युद्ध अविराम बारह दिनों तक चलता रहा। देवलोक में 12 दिन, मृत्युलोक में 12 वर्ष के बराबर माने जाते हैं। इस युद्ध में देवताओं को विजय श्री की प्राप्ति हुई। इस युद्ध काल में पृथ्वी पर चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूँदे गिरी। यह बूँद जिन चार स्थानों पर गिरी, उन्ही स्थानों पर कुम्भ मनाया जाता है। वो चार स्थान हैं –

हरिद्वार, प्रयागराज [पहले इलाहाद] उज्जैन और नासिक।

हरिद्वार पहले उत्तर प्रदेश में आता था, अब उत्तराखण्ड में हो गया है। प्रयागराज उत्तर प्रदेश में एक महानगर है, और जिला भी। उज्जैन मध्य प्रदेश में एक जिला है तो नासिक महाराष्ट्र में आता है।

यद्यपि कुम्भ प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है, मान्यता है कि देवलोक में यह 8 बार मनाया जाता है, और मृत्युलोक में यह चार बार। इस प्रकार यह बारह वर्ष में बारह बार मनाया जाता है। इस प्रकार पृथ्वी लोक [मृत्युलोक] में यह बारह वर्ष में उपरोक्त चारों स्थानों पर क्रमानुसार मनाया जाता है, जो एक स्थान पर प्रत्येक बारह वर्ष में मनाया जाता है। चूँकि प्रत्येक 12 वर्ष में पृथ्वी लोक में मनाया जाता है। यह चारों स्थानों पर 12 – 12 वर्ष पर मनाया जाता है, जो क्रमांनुसार चलता रहता है।

कुम्भ

जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुम्भ राशि में दृष्टिगोचर होता हैं, तब कुम्भ मनाया जाता है।

कुम्भ प्रत्येक बारह वर्ष बाद मनाया जाता हैं, जो हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक में क्रमानुसार मनाया जाता है।

अर्ध कुम्भ

एक ही स्थान पर दो कुम्भ की बीच में होने वाले अंतराल के मध्य में मनाया जाता हैं। यह कुम्भ के छ: वर्ष बाद मनाया जाता है। अर्ध कुम्भ हरिद्वार और प्रयागराज में ही मनाया जाता है। अन्य दो स्थान उज्जैन और नासिक में अर्धकुम्भ नहीं होता।

प्रयागराज में 2019 में अर्धकुम्भ मनाया गया था, अगला अर्ध कुम्भ प्रयागराज में 2031 में होगा।

महाकुम्भ

चूँकि कुम्भ प्रत्येक स्थान पर बारहवें वर्ष मनाया जाता है, इस प्रकार प्रत्येक स्थान का एक चक्र बारहवें वर्ष पूरा होता है। इस प्रकार प्रत्येक स्थान पर ग्यारह कुम्भ मनाने के बाद होने वाला बारहवाँ कुम्भ ”महाकुम्भ” कहलाता है। इस प्रकार प्रत्येक स्थान पर 144 वर्ष बाद महाकुम्भ मनाया जाता है।

वर्तमान में प्रयागराज महाकुम्भ चल रहा हैं। यह 13 जनवरी 2025 से प्रारम्भ हुआ और 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा।

प्रयागराज महाकुम्भ में शाही स्नान की तिथियां –

13 जनवरी 2025 – सोमवार – पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025 – मंगलवार – मकर संक्राति
29 जनवरी 2025 – बुधवार – मौनी अमावस्या
03 फरवरी 2025 – सोमवार – बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 – बुधवार – माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 – बुधवार – महाशिवरात्रि

प्रयागराज में अगला महाकुम्भ 2169 ईo में होगा।

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डिस्क्लेमर

यहाँ पर दिए गए चित्र प्रतीकात्मक हो सकते हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी केवल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करती। कृपया अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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