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Balaji Mehandipur बाला जी मेहंदीपुर

आज हम बताने जा रहे हैं आपको बाला जी मेंहदीपुर के बारे में। जी हाँ ! भारत में राजस्थान के मेंहदीपुर में बाला जी का एक ऐसा मन्दिर है जिसका प्रसाद कोई भी नहीं खाता। आइए जानते हैं। यह मन्दिर अपने नियमों के कारण अन्य सभी मन्दिरों से अलग जाना जाता है। जी हाँ, इस मन्दिर के नियम कुछ अलग ही हैं, तभी तो यह मन्दिर भारत के अन्य सभी मन्दिरों से अलग और अद्वितीय है। यह एक ऐसा मन्दिर है जहाँ जाने पर भूत भी कांपने लगते है। यह मन्दिर हनुमान जी को समर्पित है। हिन्दू धर्म में मान्यता है की इस मन्दिर में आने वाले हर भक्त की कामना हनुमान जी अवश्य पूरी करते हैं।

आइये अब जानते हैं विस्तार से। आपने मन्दिर के बारे में खूब सुना होगा। हर मन्दिर की अपनी कोई ना कोई विशेषता तो होती हैं। ऐसे ही हर देवता की भी अपनी – अपनी महिमा होती हैं। हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि हनुमान जी कि शक्ति एक परम शक्ति है वह एक परम शक्तिशाली देवता हैं। इन्ही हनुमान जी का मन्दिर राजस्थान के दौसा जिला में “मेंहदीपुर” नामक स्थान पर है। यह मन्दिर बीकानेर-जयपुर – आगरा हाईवे से थोड़ी दूर स्थित है। मन्दिर दो पहाड़ियों के बीच में समतल भूमि पर स्थित है। यह पहाड़ी अरावली की पहाड़ियां हैं। अरावली की पहाड़ी विश्व के सबसे पुराने पहाड़ों में से एक हैं। जो आज घिस कर (अपरदित और अपक्षयित होकर) छोटी पहाड़ियों कि श्रृंखला के रूप है। इन्ही अरावली कि पहाड़ी के बीच बाला जी अर्थात हनुमान जी का मन्दिर है। इस मन्दिर के बारे में मान्यता है कि हनुमान जी की शक्ति यहाँ पर हमेशा विद्यमान रहती है। यहाँ पर लोकल दर्शनर्थी तो आते ही हैं लेकिन भारत के अन्य प्रदेशों से भी काफ़ी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं।

राजस्थान के मेंहदीपुर में बाला जी का एक ऐसा स्थान हैं, जहाँ माना जाता है कि अगर किसी पर भूत – प्रेत का साया हो तो वहाँ जाने मात्र से भूत-प्रेत भागते हैं, अजीब तरीके की आवाजें निकालते हैं। भूत-प्रेत का साया दूर होते ही पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाता है।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

बाला जी की महिमा के बारे में अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, यहाँ हर महीने और हर दिन भक्तों कि भीड़ बनी रहती है। यहाँ पर आपको जानकारी के लिए एक बात और बता दें कि यहाँ पर तीन मन्दिर हैं। पहला बाला जी का मन्दिर, दूसरा प्रेतराज सरकार का मन्दिर, और तीसरा भैरव बाबा का मन्दिर। तीनो ही मन्दिरों के बारे में आगे चर्चा करेंगे, पहले यह भी जान लेते हैं कि मन्दिर में प्रसाद चढ़ाने के नियम क्या है?

बाला जी के मन्दिर में प्रसाद

दोस्तों बाला जी मेंहदीपुर मन्दिर में प्रसाद का नियम भी यहाँ अन्य मन्दिर से अलग है। यहाँ पर प्रसाद दो प्रकार का होता हैं।

पहला – अर्जी वाला प्रसाद।

दूसरा – सवामणी प्रसाद।

अर्जी वाला प्रसाद उस समय चढ़ाया जाता है जब आप मन्दिर में किसी कामना की अर्जी लगा रहे हों तब अर्जी वाला प्रसाद चढ़ाना होता है।

यदि आप इससे पहले कभी आये हों और आपकी अर्जी लगी हो और अब कामना पूरी हो गयी हो तब सवामणी प्रसाद चढ़ाया जाता हैं। प्रसाद चढ़ाने के बाद यह प्रसाद आप अपने घर लेकर नहीं जा सकते और ना ही किसी को खाने को दिया जाता हैं। बल्कि यह प्रसाद मन्दिर से बाहर निकलते समय पीछे की ओर फेंक दिया जाता है। फेंकते समय पीछे की ओर देखा नहीं जाता। शायद यह इकलौता मन्दिर हैं जहाँ का प्रसाद ना तो खाया जाता है और ना ही किसी को दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि, यहाँ पर ऐसे लोग भी आते हैं जिनके ऊपर भूत-प्रेत का साया होता है, ऐसे में माना जाता है,कि उस भूत-प्रेत का साया प्रसाद में भी आ सकता है। आइये जानते हैं मन्दिर के बारे में।

बाला जी मेंहदीपुर का मन्दिर

बाला जी के मन्दिर जब आप जाएंगे तो जाने से पहले वहाँ का एक नियम भी जान लें। मन्दिर जाने से पहले कम से कम एक सप्ताह पहले से प्याज और लहसुन व मांसाहार भोजन व शराब जैसे पेय त्यागने पड़ते हैं। ऐसे ही मन्दिर से वापस आने के बाद भी कम से कम एक सप्ताह तक उपरोक्त का सेवन करने से बचना चाहिए। वैसे कुछ लोग आस्थानुसार यह समय सीमा बढ़ाकर एक माह या 40-45 दिन या 51 दिन भी कर लेते हैं।

जब आप राजस्थान के मेंहदीपुर जाएंगे, जो कि दौसा जिला में है। तो यहाँ पर सबसे पहले स्नान करने के बाद आपको प्रसाद लेना होता है। प्रसाद की कैटागिरी हम पहले ही बता चुके हैं। आप अपने अनुसार प्रसाद “अर्जी” वाला या “सवामणी” जो भी हो, ले सकते हैं। अब आपको मन्दिर जाना है। यहाँ पर हो सकता है कि आपको लाइन में लगना पड़े। मन्दिर में प्रवेश करने पर सबसे पहले बाला जी का मन्दिर फिर प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा का मन्दिर आता है। तीनो ही मन्दिरों में आपको जाना होता है। बाला जी का मन्दिर में हनुमान जी प्रतिमा है। इस प्रतिमा के सम्मुख श्री राम सीता कि प्रतिमा हैं। मान्यता है कि बाला जी श्री राम सीता को हर समय निहारा करते हैं। मन्दिर के अंदर का दृश्य भी स्वयं में बहुत ही मनोरम है। एक बात और मन्दिर में बाला जी की प्रतिमा के सीने में एक छिद्र है। इस छिद्र से हल्का-सा पानी निकलता रहता है। मान्यता है कि यह बाला जी (हनुमान जी) का पसीना निकलता है।

प्रेतराज सरकार का मन्दिर व भैरव बाबा का मन्दिर

बाला जी के मन्दिर के बाद प्रेतराज के मन्दिर व भैरव बाबा के मन्दिर जाना होता है।

यह दोनों मन्दिर भी बाला जी के मन्दिर के पास में ही हैं। प्रेतराज को चावल व भैरव बाबा को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद जब उन लोगों को दिया जाता है। जिन पर किसी प्रेतायोनि का साया होता है, और जब वह प्रसाद खाते हैं तो उनकी क्रियाएँ असामान्य होती हैं। कभी वह जमीन पर गिरते हैं तो कभी अलग तरीके से चिल्लाते या आवाज़ निकालते हैं। कहते हैं कि ऐसे लोगों को जिन पर भूत-प्रेत का साया हो बाला जी कि कृपा से वह साया मुक्त होकर अपने घर जाते हैं। एक बात और है कि श्री भैरव बाबा को यहाँ का कोतवाल भी माना जाता है।

बाला जी के धाम कब जायें

बाला जी के धाम आप कभी भी जा सकते हैं। मंगलवार व शनिवार के दिन मन्दिर में काफी भीड़ होती हैं। इसके अतिरिक्त ज्येष्ठ के महीने में बाला जी के मन्दिर में काफी भीड़ होती। ज्येष्ठ के महीने के सभी मंगलवार उत्तम माने जाते हैं। ज्येष्ठ का अंतिम मंगलवार को “बड़ा मंगल” कहा जाता है। यह हनुमान जी का विशेष दिन है।

बाला जी मेंहदीपुर कैसे जायें

मन्दिर राजस्थान के दौसा जिला में है। आगरा-जयपुर-बीकानेर जाने वाले हाईवे से कुछ दूरी पर मेंहदीपुर में मन्दिर बना है। इसलिए आगरा-जयपुर जाने वाली बस से मेंहदीपुर तक पहुँचा जा सकता है।

यदि आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो यहाँ का निकटम रेलवे स्टेशन “बाँदीकुई” है। बाँदीकुई से आप टैक्सी से मेंहदीपुर मन्दिर जा सकते हैं। यदि आप बाँदीकुई जाने वाली ट्रेन नहीं पाते हैं तो आप जयपुर जाने वाली ट्रेन से भी जा सकते हैं। जयपुर से बस या टैक्सी से मेहंदीपुर जा सकते हैं।

यदि आप एरोप्लेन से जाना चाहते हैं तो एरोप्लेन से भी जा सकते है। यहाँ जाने के लिए निकटतम एयरपोर्ट- “जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट” है। इसे “सांगानेर एयरपोर्ट” के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर से आप बस या टैक्सी से मेंहदीपुर जा सकते हैं।

कहाँ पर ठहरें

अब यदि आप बाला जी के धाम मेंहदीपुर पहुँच ही गये हैं, और अब वहाँ पर रुकना चाहते हैं, तो यहाँ पर रुकने के लिए भी व्यवस्था है। यहाँ पर रुकने के लिए होटल व धर्मशालाएं हैं। और यह उसी गली में हैं जिस गली में मन्दिर है।

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सफ़र एक यादगार

बड़े हनुमान जी मन्दिर प्रयागराज, जहाँ रहती है, हनुमान जी की शक्ति।

हनुमान चालीसा अर्थ सहित ।।जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।जय कपीस तिंहु लोक उजागर ।।

गोला गोकर्णनाथ, जहाँ शिवलिंग पर बना है अद्भुत निशान।

डिस्क्लेमर

यहाँ पर दिए गए चित्र प्रतीकात्मक हो सकते हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी केवल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हमारी वेबसाइट aksuhanasafar.com इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करती। कृपया अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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